सिंधु घाटी सभ्यता का जीवन

सिंधु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन (Social Life):

  1. नगर नियोजन (Urban Planning): सिंधु घाटी सभ्यता के नगर अत्यधिक संगठित थे। शहरों में चौड़ी सड़कों, घरों की योजना और जल निकासी प्रणाली का विशेष ध्यान रखा गया था। मुख्य शहरों में हरप्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन और धोलावीरा प्रमुख थे।
  2. मकान और निर्माण (Houses and Architecture): लोग पक्की ईंटों के मकानों में रहते थे। घर एक या दो मंजिला होते थे, जिनमें कई कमरे, आँगन और स्नानगृह थे। हर घर में जल निकासी की व्यवस्था थी।
  3. वस्त्र और आभूषण (Clothing and Ornaments): लोग सूती और ऊनी कपड़े पहनते थे। पुरुष और महिलाएँ दोनों आभूषण पहनते थे, जिनमें मोतियों, तांबे और सोने के गहनों का इस्तेमाल होता था। स्त्रियाँ विशेष रूप से सजने-संवरने की शौकीन थीं।
  4. भोजन और खान-पान (Food and Diet): सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे। उनका मुख्य भोजन गेहूँ, जौ, तिल और चावल था। मछली और मांस का सेवन भी होता था।
  5. मनोरंजन और खेल (Entertainment and Games): लोग नृत्य, संगीत और खेलों का आनंद लेते थे। खुदाई में पासा, कंचे और बच्चों के खिलौने भी मिले हैं, जो खेल और मनोरंजन का संकेत देते हैं।
  6. महिला स्थिति (Status of Women): महिलाएँ समाज में सम्मानित थीं। मातृदेवी की पूजा से महिलाओं की महत्वपूर्ण स्थिति का संकेत मिलता है। महिलाएँ घरेलू कार्यों के साथ-साथ व्यापार और कारीगरी में भी योगदान देती थीं।
  7. सामाजिक समानता (Social Equality): समाज में किसी भी प्रकार की जातिवादी व्यवस्था का प्रमाण नहीं मिलता। सभी वर्गों के लोग समान रूप से नगरों में रहते थे और जीवन जीने की सुविधाओं का लाभ उठाते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन (Religious Life):

  1. प्रकृति पूजा (Nature Worship): लोग प्रकृति के विभिन्न रूपों की पूजा करते थे। वृक्ष, जल और पशु प्रमुख देवता माने जाते थे। पीपल और बरगद जैसे वृक्षों की विशेष पूजा होती थी।
  2. मातृ देवी (Mother Goddess): मातृ देवी की मूर्तियाँ इस सभ्यता में महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीक थीं। लोग उर्वरता और समृद्धि के लिए मातृ देवी की पूजा करते थे।
  3. पशुपति और शिव (Pashupati and Shiva): मोहनजोदड़ो से मिली पशुपति की मुहर से यह संकेत मिलता है कि शिव या पशुपति नाथ की पूजा होती थी। यह शिव के प्राचीनतम रूप का प्रतीक हो सकता है।
  4. मुहरों का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Seals): सिंधु घाटी की मुहरें धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक थीं। इन मुहरों पर पशुओं और देवी-देवताओं की आकृतियाँ उकेरी गई थीं।
  5. अंत्येष्टि संस्कार (Funeral Practices): कब्रिस्तानों से पता चलता है कि लोग मृत्युपरांत जीवन में विश्वास रखते थे। शवों को सजावटी वस्त्रों और आभूषणों के साथ दफनाया जाता था।
  6. जल पूजा (Water Worship): जल को पवित्र माना जाता था, और स्नान के अनुष्ठान का विशेष महत्व था। जल से जुड़ी नदियों और सरोवरों का धार्मिक आस्था में बड़ा योगदान था।
  7. यज्ञ और हवन (Sacrifices and Rituals): यज्ञ और हवन जैसे अनुष्ठानों का प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन संभवतः पूजा-अर्चना की विधियाँ साधारण और निजी होती थीं।

सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन (Economic Life):

  1. कृषि (Agriculture): सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य आर्थिक गतिविधि कृषि थी। गेहूँ, जौ, तिल, चावल और कपास जैसी फसलें उगाई जाती थीं। सिंचाई के लिए नदियों और वर्षा पर निर्भरता थी।
  2. व्यापार (Trade): सिंधु सभ्यता का व्यापार बहुत विकसित था। लोग मेसोपोटामिया और फारस के साथ व्यापार करते थे। खुदाई में मिले सामान से समुद्री और स्थलीय व्यापार के संकेत मिलते हैं।
  3. कृषि उत्पाद (Agricultural Products): गेहूँ और जौ जैसी अनाज फसलें प्रमुख थीं। कपास का उत्पादन भी इस सभ्यता में बड़े पैमाने पर होता था, जिसे व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
  4. कारीगरी और शिल्पकला (Craftsmanship and Artisanship): लोग धातु, पत्थर, मिट्टी और हाथीदाँत से विभिन्न प्रकार के वस्त्र, आभूषण और उपकरण बनाते थे। ये वस्तुएँ व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण थीं।
  5. मुद्रा और लेन-देन (Currency and Transactions): मुद्रा का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन मुहरों का इस्तेमाल व्यापार और लेन-देन में किया जाता था। संभवतः वस्तु-विनिमय प्रणाली का भी उपयोग होता था।
  6. यातायात और परिवहन (Transport and Travel): सिंधु घाटी के लोग परिवहन के लिए बैल गाड़ियों का उपयोग करते थे। नदियों का उपयोग जलमार्ग के रूप में व्यापार और परिवहन के लिए किया जाता था।
  7. बाजार और गोदाम (Markets and Warehouses): शहरों में बड़े-बड़े गोदाम थे, जहाँ अनाज और व्यापारिक वस्तुओं का संग्रह किया जाता था। बाजार भी नगरों का अभिन्न हिस्सा थे, जहाँ व्यापारिक गतिविधियाँ होती थीं।

सिंधु घाटी सभ्यता का राजनीतिक जीवन (Political Life):

  1. राजनीतिक संरचना (Political Structure): सिंधु घाटी सभ्यता में कोई स्पष्ट शासक वर्ग या राजा का प्रमाण नहीं मिलता। ऐसा प्रतीत होता है कि शहर स्वायत्त नगर-राज्यों के रूप में संगठित थे।
  2. नगर प्रशासन (City Administration): शहरों की व्यवस्थित योजना से संकेत मिलता है कि नगर प्रशासन अत्यधिक संगठित था। संभवतः नगर सभाओं या पंचायतों द्वारा प्रशासन का संचालन होता था।
  3. सैन्य संगठन (Military Organization): सिंधु सभ्यता में सैन्य गतिविधियों का प्रमाण नहीं मिलता। यह एक शांतिप्रिय सभ्यता प्रतीत होती है, जिसमें आंतरिक संघर्षों या बाहरी आक्रमणों का उल्लेख नहीं है।
  4. कानून और व्यवस्था (Law and Order): शहरों की सुव्यवस्थित संरचना और व्यापारिक गतिविधियों की नियमितता से संकेत मिलता है कि सभ्यता में कानून और व्यवस्था का सख्ती से पालन किया जाता था।
  5. सार्वजनिक निर्माण (Public Works): नगरों में सार्वजनिक स्नानगृह, विशाल गोदाम और जल निकासी की उन्नत व्यवस्था से यह सिद्ध होता है कि प्रशासनिक तंत्र अत्यधिक सक्षम और प्रभावशाली था।
  6. राजनीतिक नियंत्रण (Political Control): शहरों में मिले महल या किले जैसे ढाँचों के अभाव में ऐसा प्रतीत होता है कि किसी एक वर्ग या व्यक्ति का राजनीतिक प्रभुत्व नहीं था। समाज संभवतः लोकतांत्रिक या स्थानीय समुदायों द्वारा शासित था।
  7. कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Diplomacy and International Relations): मेसोपोटामिया और फारस के साथ व्यापारिक संबंधों से यह संकेत मिलता है कि सिंधु घाटी के लोग विदेशों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए हुए थे।